तुम हो की नहीं हो,
की कोई लौट के आएगा
कही हो के भी तुम कहां हों ?
तेरे होने का का अहसास
नहीं होने सा होता हैं !
सदियों में होता
हैं,
तेरे होने का अहसास
कभी हो
ऐसा भी कभी क्या
होता है?
एक तेरे अहसास में
कब से जी रहा हु जिंदगी?
जिंदगी में अब जिन्दा हु
उम्मीदों पर तेरे,
की कोई लौट के आएगा
उस उम्मीदों में मेरे
वरना मर के जिन्दा हैं
तेरे एक अहसास में !
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